सोचती हूँ कभी कभी
सोचती हूँ कभी कभी कि
ज़िन्दगी कभी तो थोड़ी मोहलत देगी
आपने तरीके से जीने की
आज़ादी देगी , सूकून होगा कभी आपने पास
कभी अपना एक वजूद होगा
जहाँ कोई सरमाया न होगा
कोई अहसान न होगा .
न तेरा होगा न मेरा होगा ,
कोई ज़ुस्जू , आरजू न होगी
बस ज़िन्दगी यूं ही बीत जाएगी
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