आजकल पढना आनंद का कोई विषय नहीं रह गया है क्योंकि आजकल भाषा केवल संवाद का विषय रह गई है जहाँ रस अनुभूति संवेदना सब समाप्त सी हो गई है ।हनी सिंह ,मेला सिंह, जहाँ भाष के पहरुए बने हो
वहां भाषा केवल उलुल जुलूल शब्दोंका पिटारा बन कर रह जाएगी ।
वहां भाषा केवल उलुल जुलूल शब्दोंका पिटारा बन कर रह जाएगी ।
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